बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - चतुर्थ प्रश्नपत्र - अनुसंधान पद्धति एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - चतुर्थ प्रश्नपत्र - अनुसंधान पद्धतिसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - चतुर्थ प्रश्नपत्र - अनुसंधान पद्धति
प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण का अर्थ व प्रकार बताइए। इसके गुण व दोषों की विवेचना कीजिए।
उत्तर -
सामाजिक सर्वेक्षण का अर्थ-
सर्वेक्षण शब्द अंग्रेजी भाषा के Survey का हिन्दी रूपान्तरण है। Survey शब्द दो शब्दों (Sur + Vey) से मिलकर बना है। Sur शब्द का अर्थ ऊपर और Vey का अर्थ देखना है अर्थात् सर्वेक्षण का अर्थ ऊपर से देखना अथवा निरीक्षण करना है।
फेयरचाइल्ड (1944) के अनुसार - "सामान्य शब्दों में एक समुदाय के सम्पूर्ण जीवन अथवा उसके किसी एक पक्ष जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, मनोरंजन के सम्बन्ध में तथ्यों को व्यवस्थित, संकलित और विश्लेषण करने को ही सर्वेक्षण कहते हैं।
सामाजिक सर्वेक्षण के प्रकार
सामाजिक सर्वेक्षण निम्नलिखित प्रकार का होता है-
1. प्रतिदर्श सर्वेक्षण - प्रतिदर्श सर्वेक्षण वह सर्वेक्षण है जिसमें जनसंख्या को प्रत्येक इकाई का अध्ययन न करके जनसंख्या से पहले एक प्रतिदर्श चुना जाता है और चुने हुए प्रतिदर्श की जनसंख्या का प्रतिनिधि मानकर अध्ययन किया जाता है। प्रतिदर्श की प्रत्येकं इकाई से ही सर्वेक्षण समस्या के सम्बन्ध में तथ्य सूचनाएँ या आँकड़े एकत्र किये जाते हैं। प्रतिदर्श के अध्ययन के प्राप्त परिणामों के लिये माना जाता है कि यह उस जनसंख्या के लिये सही है जिससे यह प्रतिदर्श चुना गया है।
2. जनसंख्या सर्वेक्षण - जनसंख्या सर्वेक्षण, सर्वेक्षण का वह प्रकार है जिसमें सर्वेक्षण सम्बन्धी समस्या का अध्ययन जनसंख्या की प्रत्येक इकाई से सम्पर्क किया जाता है। इस प्रकार के सर्वेक्षण द्वारा जनसंख्या की गणना या जनगणना की जाती है। इस प्रकार का सर्वेक्षण भारत सरकार द्वारा प्रत्येक दस वर्ष में कराया जाता है। इस प्रकार के सर्वेक्षण से धन, समय व सर्वेक्षणकर्ताओं की अधिक आवश्यकता होती है।
3. गुणात्मक तथा मात्रात्मक सर्वेक्षण - विवाह विच्छेद, पक्षपात, जनमत और बेरोजगारी, अच्छाई-बुराई आदि सम्बन्ध सर्वेक्षण करता है और सर्वेक्षण से सम्बन्धित आँकड़े संख्यात्मक नहीं होते हैं तो इस प्रकार के सर्वेक्षण को गुणात्मक सर्वेक्षण कहते हैं। जबकि दूसरी ओर किसी सर्वेक्षण के आँकड़े या तथ्य या विवरण जब संख्यात्मक रूप में या सांख्यिकीय रूप में प्रस्तुत किया जाता है तो ऐसे सर्वेक्षण को मात्रात्मक सर्वेक्षण कहते हैं। उदाहरण के लिये साक्षरता का प्रतिशत प्रति व्यक्ति आय और स्त्री-पुरुषों की आय में किया गया सर्वेक्षण कहलायेगा।
4. नियमित और कार्यवाहक सर्वेक्षण - जब कोई संस्था या सरकारी विभाग किसी अध्ययन समस्या पर नियमित रूप से सर्वेक्षण का कार्य करता है तो इसे नियमित सर्वेक्षण कहते हैं। इसी प्रकार जब किसी तत्कालिक उद्देश्य की पूर्ति हेतु अस्थायी सर्वेक्षण किया जाता है या तत्कालिक सर्वेक्षण किया जाता है तो इसे कार्यवाहक सर्वेक्षण कहते हैं।
5. सार्वजनिक और गुप्त सर्वेक्षण - सार्वजनिक सर्वेक्षण वह सर्वेक्षण है जिस सर्वेक्षण की जानकारी जनता को होती है अथवा यह वह सर्वेक्षण है जिसकी रिपोर्ट को सूचनार्थ जनता के लिये प्रकाशित किया जाता है। राष्ट्रीय बचत योजनाओं से सम्बन्धित सर्वेक्षण सार्वजनिक सर्वेक्षण की श्रेणी में आते हैं। दूसरी ओर जब किसी सामाजिक सर्वेक्षण के तथ्यों कों जनता से छुपाया जाता है तो इस सर्वेक्षण को गुप्त सर्वेक्षण कहते हैं।
6. पूर्वगामी सर्वेक्षण - पूर्वगामी सर्वेक्षण एक अध्ययन समस्या के सम्बन्ध में अथवा एक अध्ययन स्थल के सम्बन्ध में प्रारम्भिक सर्वेक्षण दो प्रकार का होता है -
(अ) अन्वेषणात्मक पूर्वगामी सर्वेक्षण
(ब) अनुमानात्मक पूर्वगामी सर्वेक्षण
अनुमानात्मक सर्वेक्षण में सर्वेक्षणकर्ता विभिन्न प्रकार के अनुमान लगाता है जबकि अन्वेषणात्मक सर्वेक्षण में यह जानने का प्रयास करता है कि अध्ययन को किन दशाओं में मोड़ा जाये जिससे कि वास्तविक सूचनाएँ प्राप्त होने की सम्भावनाएँ बढ़ जाएँ।
7. उद्देश्य के आधार पर सर्वेक्षणों के प्रकार - ये निम्न प्रकार के होते हैं.
(अ) विवरणात्मक सर्वेक्षण - विवरणात्मक सर्वेक्षण वह सर्वेक्षण है जिसमें अनुसन्धानकर्ता का उद्देश्य किसी सामाजिक घटना, सामाजिक जीवन, सामाजिक व्यवहार या सामाजिक समस्या के सम्बन्ध में विवरणात्मक विश्लेषण करना होता है।
(ब) व्याख्यात्मक सर्वेक्षण - यह वह सर्वेक्षण है जो किसी सामाजिक घटना, सामाजिक जीवन, सामाजिक व्यवहार या सामाजिक समस्या में कार्यकारण सम्बन्धों का पता लगाने के लिये किया जाता है।
(स) मूल्याँकनात्मक सर्वेक्षण - इस प्रकार के सर्वेक्षण का उद्देश्य किसी सामाजिक घटना, सामाजिक जीवन, सामाजिक व्यवहार या सामाजिक समस्या को प्रभावित करने वाले कारकों का मूल्याँकन किया जाता है। मूल्याँकन के आधार पर ही सुधार की योजना बनाई जाती है।
सामाजिक सर्वेक्षण के गुण या उपयोगिता या महत्व
सामाजिक सर्वेक्षण सामाजिक अनुसन्धान की एक प्रचलित विधि है। इसके निम्नलिखित गुण हैं-
1. वैज्ञानिक शुद्धता - सामाजिक सर्वेक्षण वैज्ञानिक नियमों पर आधारित होता है। सूचना और तथ्यों के संग्रह के लिये वैज्ञानिक उपकरणों और साधनों का प्रयोग किया जाता है, वैज्ञानिक नियमों का भी सहारा लिया जाता है। प्राप्त आँकड़ों के विश्लेषण के लिये सांख्यिकीय विधियों का उपयोग किया जाता है। इन आधारों पर किये गये सामाजिक सर्वेक्षण से प्राप्त निष्कर्ष और परिणामों में वैज्ञानिक शुद्धता पाई जाती है।
2. विश्वसनीय और वैध परिणाम - सामाजिक सर्वेक्षणकर्ता स्वयं या उसकी टीम के साथ मिलकर अध्ययन इकाइयों से सम्पर्क करता है और अध्ययन क्षेत्र में जाकर अध्ययन इकाइयों से वैज्ञानिक ढंग से सूचना और आँकड़ों को एकत्र करता है। इस प्रकार से किये गये अध्ययन से प्राप्त परिणाम न केवल विश्वसनीय होते हैं बल्कि वैध भी होते हैं।
3. उपकल्पना निर्माण में सहायक - सामाजिक सर्वेक्षणों द्वारा जो सूचना, आँकड़े या जानकारी प्राप्त होती है उसके आधार पर एक भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों को जीवन और समस्याओं का अच्छा खासा ज्ञान हो जाता है। इस ज्ञान के आधार पर सर्वेक्षणकर्ता उच्च स्तरीय अध्ययनों के लिये एक या एक या अनेक उपकल्पनाओं का निर्माण कर सकता है।
4. वस्तुनिष्ठ अध्ययन - सामाजिक सर्वेक्षणकर्ता जब अध्ययन इकाइयों से सूचना तथ्यों या आँकड़ों का संग्रह करता है तो वह यह तटस्थ होकर करता है। आँकड़ों तथ्यों और सूचनाओं के संकलन के समय वह यह प्रयास करता है कि तथ्यों या आँकड़ों के संकलन पर उसके व्यक्तिगत पक्षपातों, व्यक्तिगत विचारधाराओं और अभिवृत्तियों का प्रभाव न पड़े जिससे सामाजिक सर्वेक्षण सम्बन्धी अध्ययन में वस्तुनिष्ठता बनी रहे।
5. अनुभवात्मक अध्ययन - सामाजिक सर्वेक्षणकर्ता स्वयं या अपनी टीम के साथ अध्ययन क्षेत्र में जाता है अध्ययन इकाइयों से सम्पर्क करता है। इससे समस्या के सम्बन्ध में अनुभवात्मक ज्ञान प्राप्त होता है।
6. सामाजिक पुनर्निर्माण - सामाजिक सर्वेक्षण की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके द्वारा सामाजिक समस्याओं की प्रकृति और कारणों का ज्ञान हो जाता है साथ-साथ समस्या के समाधान हेतु उपयोगी सुझाव भी अध्ययन इकाइयों से ज्ञात हो जाते हैं जिससे सामाजिक समस्याओं को कम करने में सहायता भी मिलती है साथ-साथ ज्ञान के आधार पर सामाजिक पुनर्निर्माण सम्भव हो जाता है।
7. विस्तृतं उपयोग - सामाजिक परिवर्तनों के कारण परिवर्तनशीलता और गतिशीलता बनी रहती है। सामाजिक परिवर्तनों के कारण एक समाज के लोगों के विचारों, मूल्यों और दृष्टिकोण में परिवर्तन होते रहते हैं। इन परिवर्तनों के सम्बन्ध में जानकारी सामाजिक सर्वेक्षणों से सरलता से एकत्रित की जा सकती है।
8. सामाजिक संरचना और सामाजिक संस्थाओं का अध्ययन - सामाजिक सर्वेक्षणों के द्वारा सामाजिक संस्थाओं और सामाजिक संरचना से सम्बन्धित समस्याओं की तात्कालिक जानकारी प्राप्त की जा सकती है। परिवार, विवाह, धर्म, कानून, व्यवस्था, रीति-रिवाज, परम्पराओं और प्रथाओं आदि के बारे में प्राथमिक और विस्तृत जानकारी सामाजिक सर्वेक्षणों के द्वारा सरलता से ज्ञात की जा सकती है।
सामाजिक सर्वेक्षण के दोष
सामाजिक सर्वेक्षण के निम्नलिखित दोष हैं-
1. सीमित क्षेत्र - सामाजिक सर्वेक्षण के अन्तर्गत केवल कुछ ही प्रकार के अध्ययन किए जा सकते हैं। सामाजिक सर्वेक्षण के द्वारा अन्तःक्रियात्मक अध्ययन भी सम्भव नहीं है।
2. अमूर्त घटनाओं के अध्ययन में कठिनाई - सामाजिक सर्वेक्षणों के द्वारा अमूर्त घटनाओं का अध्ययन बहुत कठिन होता है। बहुधा सामाजिक सर्वेक्षणों के द्वारा उन्हीं सामाजिक घटनाओं, सामाजिक जीवन और सामाजिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है जिसकी प्रकृति मूर्त होती है। एक समुदाय के लोगों के विचारों, चिन्तन और विश्वासों के सम्बन्ध में भी सामाजिक सर्वेक्षण द्वारा अध्ययन करना कठिन होता है।
3. अभिनिति की सम्भावना - सामाजिक सर्वेक्षण द्वारा अध्ययन करते समय बहुत कुछ सम्भावना होती है कि सर्वेक्षणकर्ता की व्यक्तिगत इच्छाओं, विश्वासों, अभिवृत्तियों और पक्षपातों को प्रभाव अध्ययन इकाइयों के चुनाव पर प्रश्नावली के निर्माण पर साक्षात्कार द्वारा आँकड़ों के संग्रह पर पड़ता है इससे अध्ययन परिणाम दूषित हो जाते हैं।
4. संदेहपूर्ण विश्वसनीयता - सर्वेक्षण द्वारा प्राप्त जानकारी तथ्य, आँकड़े और परिणामों की विश्वसनीयता तब संदेहपूर्ण हो जाती है जब सर्वेक्षण जल्दी किया गया होता है। जब प्रश्नावली के प्रश्न भाषा और रचना की दृष्टि से दोषपूर्ण होते हैं और लम्बे-लम्बे होते हैं तब भी इनसे प्राप्त परिणाम विश्वसनीय नहीं होते हैं।
5. अधिक समय और धन की आवश्यकता - सामाजिक सर्वेक्षण द्वारा अध्ययन करने के लिये अधिक धन और अधिक समय की आवश्यकता होती है। कई बार सामाजिक सर्वेक्षण के अध्ययन कई-कई वर्षों तक चलते हैं। इस विधि द्वारा अध्ययन के लिये अनुसूची, प्रश्नावली और साक्षात्कार प्रक्रिया तैयार करने में बहुत समय लगता है। इसके अलावा सर्वेक्षण टीम जब तथ्यों, आँकड़ों का संग्रह करने जाती है तो उसके मात्रा भत्ते पर खर्च आता है उसके प्रशिक्षण पर खर्च आता है।
6. तात्कालिक समस्याओं के अध्ययन तक सीमित - सामाजिक सर्वेक्षण द्वारा केवल वर्तमान या तत्कालिक समस्याओं का ही अध्ययन किया जाता है। ऐतिहासिक समस्याओं का अध्ययन इस विधि द्वारा सम्भव नहीं है।
7. गहन अध्ययन असम्भव - सामाजिक सर्वेक्षण द्वारा सामाजिक घटनाओं, सामाजिक जीवन और सामाजिक समस्याओं का केवल सतही अध्ययन किया जाता है। सामाजिक सर्वेक्षण द्वारा गहन अध्ययन सम्भव नहीं है क्योंकि आँकड़ों का संग्रह अधिकांशतः ऐसे प्रश्नों के आधार पर किया जाता है जिससे उत्तरदाताओं को प्रश्नों के उत्तर हाँ नहीं विकल्प के रूप में देने होते हैं।
8. सैद्धान्तीकरण असम्भव - चूँकि सामाजिक समस्याओं का अध्ययन केन्द्र सतही सूचनाओं के आधार पर होता है। ऐसी सूचनाओं से जो परिणाम और निष्कर्ष प्राप्त होते हैं उनके आधार पर वैज्ञानिक सिद्धान्तों का निर्माण असम्भव होता है।
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- प्रश्न- अनुसंधान की अवधारणा एवं चरणों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अनुसंधान के उद्देश्यों का वर्णन कीजिये तथा तथ्य व सिद्धान्त के सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शोध की प्रकृति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शोध के अध्ययन-क्षेत्र का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'वैज्ञानिक पद्धति' क्या है? वैज्ञानिक पद्धति की विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- वैज्ञानिक पद्धति के प्रमुख चरणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अन्वेषणात्मक शोध अभिकल्प की व्याख्या करें।
- प्रश्न- अनुसन्धान कार्य की प्रस्तावित रूपरेखा से आप क्या समझती है? इसके विभिन्न सोपानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शोध से क्या आशय है?
- प्रश्न- शोध की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- शोध के प्रमुख चरण बताइये।
- प्रश्न- शोध की मुख्य उपयोगितायें बताइये।
- प्रश्न- शोध के प्रेरक कारक कौन-से है?
- प्रश्न- शोध के लाभ बताइये।
- प्रश्न- अनुसंधान के सिद्धान्त का महत्व क्या है?
- प्रश्न- वैज्ञानिक पद्धति के आवश्यक तत्त्व क्या है?
- प्रश्न- वैज्ञानिक पद्धति का अर्थ लिखो।
- प्रश्न- वैज्ञानिक पद्धति के प्रमुख चरण बताओ।
- प्रश्न- गृह विज्ञान से सम्बन्धित कोई दो ज्वलंत शोध विषय बताइये।
- प्रश्न- शोध को परिभाषित कीजिए तथा वैज्ञानिक शोध की कोई चार विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- गृह विज्ञान विषय से सम्बन्धित दो शोध विषय के कथन बनाइये।
- प्रश्न- एक अच्छे शोधकर्ता के अपेक्षित गुण बताइए।
- प्रश्न- शोध अभिकल्प का महत्व बताइये।
- प्रश्न- अनुसंधान अभिकल्प की विषय-वस्तु लिखिए।
- प्रश्न- अनुसंधान प्ररचना के चरण लिखो।
- प्रश्न- अनुसंधान प्ररचना के उद्देश्य क्या हैं?
- प्रश्न- प्रतिपादनात्मक अथवा अन्वेषणात्मक अनुसंधान प्ररचना से आप क्या समझते हो?
- प्रश्न- 'ऐतिहासिक उपागम' से आप क्या समझते हैं? इस उपागम (पद्धति) का प्रयोग कैसे तथा किन-किन चरणों के अन्तर्गत किया जाता है? इसके अन्तर्गत प्रयोग किए जाने वाले प्रमुख स्रोत भी बताइए।
- प्रश्न- वर्णात्मक शोध अभिकल्प की व्याख्या करें।
- प्रश्न- प्रयोगात्मक शोध अभिकल्प क्या है? इसके विविध प्रकार क्या हैं?
- प्रश्न- प्रयोगात्मक शोध का अर्थ, विशेषताएँ, गुण तथा सीमाएँ बताइए।
- प्रश्न- पद्धतिपरक अनुसंधान की परिभाषा दीजिए और इसके क्षेत्र को समझाइए।
- प्रश्न- क्षेत्र अनुसंधान से आप क्या समझते है। इसकी विशेषताओं को समझाइए।
- प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण का अर्थ व प्रकार बताइए। इसके गुण व दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख प्रकार एवं विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक अनुसन्धान की गुणात्मक पद्धति का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्षेत्र-अध्ययन के गुण लिखो।
- प्रश्न- क्षेत्र-अध्ययन के दोष बताओ।
- प्रश्न- क्रियात्मक अनुसंधान के दोष बताओ।
- प्रश्न- क्षेत्र-अध्ययन और सर्वेक्षण अनुसंधान में अंतर बताओ।
- प्रश्न- पूर्व सर्वेक्षण क्या है?
- प्रश्न- परिमाणात्मक तथा गुणात्मक सर्वेक्षण का अर्थ लिखो।
- प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण का अर्थ बताकर इसकी कोई चार विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- सर्वेक्षण शोध की उपयोगिता बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण के विभिन्न दोषों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक अनुसंधान में वैज्ञानिक पद्धति कीक्या उपयोगिता है? सामाजिक अनुसंधान में वैज्ञानिक पद्धति की क्या उपयोगिता है?
- प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण के विभिन्न गुण बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण तथा सामाजिक अनुसंधान में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण की क्या सीमाएँ हैं?
- प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण की सामान्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण की क्या उपयोगिता है?
- प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण की विषय-सामग्री बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक अनुसंधान में तथ्यों के संकलन का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण के प्रमुख चरणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अनुसंधान समस्या से क्या तात्पर्य है? अनुसंधान समस्या के विभिन्न स्रोतक्या है?
- प्रश्न- शोध समस्या के चयन एवं प्रतिपादन में प्रमुख विचारणीय बातों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- समस्या का परिभाषीकरण कीजिए तथा समस्या के तत्वों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- समस्या का सीमांकन तथा मूल्यांकन कीजिए तथा समस्या के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- समस्या के चुनाव का सिद्धान्त लिखिए। एक समस्या कथन लिखिए।
- प्रश्न- शोध समस्या की जाँच आप कैसे करेंगे?
- प्रश्न- अनुसंधान समस्या के प्रकार बताओ।
- प्रश्न- शोध समस्या किसे कहते हैं? शोध समस्या के कोई चार स्त्रोत बताइये।
- प्रश्न- उत्तम शोध समस्या की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- शोध समस्या और शोध प्रकरण में अंतर बताइए।
- प्रश्न- शैक्षिक शोध में प्रदत्तों के वर्गीकरण की उपयोगिता क्या है?
- प्रश्न- समस्या का अर्थ तथा समस्या के स्रोत बताइए?
- प्रश्न- शोधार्थियों को शोध करते समय किन कठिनाइयों का सामना पड़ता है? उनका निवारण कैसे किया जा सकता है?
- प्रश्न- समस्या की विशेषताएँ बताइए तथा समस्या के चुनाव के अधिनियम बताइए।
- प्रश्न- परिकल्पना की अवधारणा स्पष्ट कीजिये तथा एक अच्छी परिकल्पना की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- एक उत्तम शोध परिकल्पना की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- उप-कल्पना के परीक्षण में होने वाली त्रुटियों के बारे में उदाहरण सहित बताइए तथा इस त्रुटि से कैसे बचाव किया जा सकता है?
- प्रश्न- परिकल्पना या उपकल्पना से आप क्या समझते हैं? परिकल्पना कितने प्रकार की होती है।
- प्रश्न- उपकल्पना के स्रोत, उपयोगिता तथा कठिनाइयाँ बताइए।
- प्रश्न- उत्तम परिकल्पना की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- परिकल्पना से आप क्या समझते हैं? किसी शोध समस्या को चुनिये तथा उसके लिये पाँच परिकल्पनाएँ लिखिए।
- प्रश्न- उपकल्पना की परिभाषाएँ लिखो।
- प्रश्न- उपकल्पना के निर्माण की कठिनाइयाँ लिखो।
- प्रश्न- शून्य परिकल्पना से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
- प्रश्न- उपकल्पनाएँ कितनी प्रकार की होती हैं?
- प्रश्न- शैक्षिक शोध में न्यादर्श चयन का महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- शोधकर्त्ता को परिकल्पना का निर्माण क्यों करना चाहिए।
- प्रश्न- शोध के उद्देश्य व परिकल्पना में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- महत्वशीलता स्तर या सार्थकता स्तर (Levels of Significance) को परिभाषित करते हुए इसका अर्थ बताइए?
- प्रश्न- शून्य परिकल्पना में विश्वास स्तर की भूमिका को समझाइए।